साल 2023 की शुरुआत हो चुकी है और यह साल राजनीति के लिए एक तरह से काफी महत्वपूर्ण माना जा रहा है, क्योंकि इस साल देश के कई महत्वपूर्ण राज्यों में चुनाव होने हैं और उन चुनावों को सीधे तौर पर अगले साल होने वाले, यानी 2024 में होने वाले लोकसभा के चुनावों से पहले की तैयारी के रूप में देखा जाता है। यह साल कांग्रेस के लिए काफी महत्वपूर्ण साबित होगा, क्योंकि कांग्रेस की भारत जोड़ो यात्रा इस समय जारी है और उसका असर इस साल में होने वाले चुनावों पर किस तरह पड़ेगा, यह देखने वाला विषय होगा।
इसके अलावा कांग्रेस के लिए महत्वपूर्ण माने जाने वाले दो राज्य, जिसमें कांग्रेस शासित राजस्थान और इसके अलावा कर्नाटक है। दोनों राज्यों में इस साल चुनाव होने हैं और यह दोनों राज्य कांग्रेस के लिए काफी महत्वपूर्ण हैं, ऐसे में यह देखना बेहद आवश्यक होगा कि किस तरह से कांग्रेस इन दोनों राज्यों में क्या प्रदर्शन करती है।

राजस्थान में कांग्रेस के दो गुट नजर आ रहे हैं, हालांकि यही समस्या राजस्थान की भारतीय जनता पार्टी के साथ भी दिखाई पड़ रही है। जैसे-जैसे चुनाव नजदीक आते रहेंगे, वैसे वैसे राजनीति में एक बार फिर वसुंधरा राज्य सक्रिय नजर आएंगी, लेकिन क्या पूरे 5 सालों तक सक्रिय नजर आने वाले सतीश पूनिया, क्या वसुंधरा को उनकी जगह देंगे यह एक देखने वाला विषय होगा…
हालांकि यह बात तो तय मानी जा रही है कि आलाकमान भारतीय जनता पार्टी में वसुंधरा राजे से खुश नहीं है, लेकिन क्या वह वसुंधरा राजे को राजस्थान से हटा सकेंगे यह एक देखने वाला विषय होगा।
कांग्रेस की कमान कर्नाटका में भी दो गुटों में बटी हुई है, लेकिन राजस्थान में राहत की बात यह है कि सचिन पायलट अभी तक कोई भी विरोध का स्वर इस तरह से नहीं आ रहे हैं कि उसका खासा नतीजा चुनावों में देखने को मिले। लेकिन इतना तय माना जा रहा है कि इस बार भारतीय जनता पार्टी के लिए चुनाव लड़ना आसान नहीं होगा।

हर चुनाव के बाद सरकार बदलने का क्रम राजस्थान में देखने को मिलता है उसके हिसाब से इस बार भारतीय जनता पार्टी को चुनाव जीतना है लेकिन सबसे बड़ा सवाल यह बना हुआ है कि क्या अपनी आंतरिक गुटों के बीच भारतीय जनता पार्टी एक तरह से खड़ी होकर क्या चुनावों में उतर सकेगी।
साल के अंत में राजस्थान के चुनाव होने हैं और अब यह पूरा साल राजनीतिक ढंग से राजस्थान में उथल-पुथल का बना रहेगा।